पलके उठाके देख…
अभी भी सूरज जगमग है
अभी भी राते शबनम है
अभी भी हवा दीवानी है
क्यों तेरे आँख में पानी है…
नजर फेरके देख जरा…
गिरती बूंदे मेंहकी सी
पंछियो की बाते चेहकी सी
हर दिन एक भेट सा है
वक्त तो गुजरे रेत सा है…
अपने भीतर झांक जरा…
भूल जा जो गलत हुवा
आगे हर पल चमक रहा
क्या हुवा कोई साथ नही
तेरे सब कुछ हात नही…
अपने दिल से पूछ लें…
अभी भी खुशियाँ उमड़ रही
आते पल में सिमट रही
बन जा खुशियो का तू राजा
खोल दे दिल का बंद दरवाजा!