तनहाई की चादर पे
उम्मीदों की बुनाई…
सांज सवेरे आते जाते
यादे ढेर सी आई…
सपनो को आँखों मे मूंद
मैंने उनसे कह डाला
कुछ भी हो ना छोडूंगी
इरादों की कलाई!…
तनहाई की चादर पे
उम्मीदों की बुनाई…
सांज सवेरे आते जाते
यादे ढेर सी आई…
सपनो को आँखों मे मूंद
मैंने उनसे कह डाला
कुछ भी हो ना छोडूंगी
इरादों की कलाई!…